पेड़ पानी से ख़फ़ा लगता है बाढ़ आई थी, पता लगता है ख़ाली जगहें यूँ न रखिए साहिब इश्तिहारों को बुरा लगता है हाशिए जब से हुए हैं रौशन रंग-ए-तहज़ीब उड़ा लगता है जब कि हाथों की थमी है सिहरन क्यों लरज़ता सा छुरा लगता है? क्या करे कोई भला इस दिल का? जो न लग कर भी लगा लगता है बेबसी है या कि ये सद्मा है? जो गुज़रता है ख़ुदा लगता है - विश्वजीत
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